संभोग – एक अनोखा रिश्ता ____

आज के विषय से शायद कई लोगो को आपत्ति हो सकती है। तो मेरी उन सब लोगो से विनती है कि पहले यह विषय पढ़े और फिर भी अगर कुछ गलत लगे तो माफ़ करे। पर यहाँ पर यह विषय पर बात इसीलिए करनी मैंने जरुरी समझी है कि संभोग को सब मानते है और उसका आनंद भी लेते है पर उसकी सच जानकारी शायद ही है। तो यह ज्ञान आज का उस आनंद के लिए है जो सब लोग लेते है पर जानते नहीं ठीक से।
यहाँ पर दिए गए सब विचार मेरे खुद के है और किसी भी जीवित या मृतक से कोई लेना देना नहीं है। अगर है भी तो महज एक इत्तेफ़ाक़ है। और जो लोग मेरे इस विचार से सहमत ना हो वह अपने विचार उदाहरण के साथ पेश करे अन्यथा अपने विचार अपने पास रख सकते है। में यहाँ पर किसी पे अपने विचार थोप नहीं रहा अपितु बता रहा हु। मानना ना मानना पढ़ने वाले पर है।
#संभोग एक ऐसा शब्द है जो सुनते ही समाज में झटका लग जाता है। नाम सुनकर ही सब के सब हक्के बक्के रह जाते है। अगर सरेआम आपने संभोग का नाम ले लिया तो लोग आपको ऐसे देखेंगे जैसे समाज के बिच में कोई विचित्र जानवर आ गया हो। कई लोग तो आपको ऐसे घूरेंगे जैसे आपको खा जाएंगे। सब के सब अलग अलग चेहरे के भाव से देखेंगे पर मन में एक ही भाव कि यह क्या बोल रहा है।
संभोग शब्द से इतनी नफरत? जबकि सब लोग उसका आनंद तो बड़े मजे से लेते है। चाहे #स्त्री हो या #पुरुष, दोनों आनंद लेते है। दोनों एक दूसरे के पूरक है। दोनों में से एक ना हो तो आनंद पूरा नहीं होता। तो यह भेदभाव क्यों? क्यों इस शब्द से लोग भड़कते है? क्या बुराई है इसमें? क्या खराबी है इसमें? कोई बता सकता है क्या? क्यों लोग इस विषय पर जाहिर में बात करने से भागते है? क्यों इसकी बात करना जैसे #चरित्रहीन है? आखिर क्यों?
संभोग का मतलब क्या है? सम + भोग = समान तरह से साथ में भोग करे।
संभोग एक मैन्युफैक्चरिंग यूनिट की तरह ही लोग इस्तेमाल करते है और समझते हैं इससे बच्चे पैदा होता है और मजा आता है दोनों को बस। बाकि किसी भी चीज़ से कोई लेना देना नहीं है। संभोग को एक क्रिया की तरह लेते है, एक ऐसी क्रिया जो शादी शुदा लोगो के लिए जरुरी है अपना वंश आगे बढ़ाने के लिए। यह एक सिस्टम बन गया है जैसे। एक ऐसा सिस्टम जो बंध कमरे में दोनों स्त्री पुरुष सारे कपड़े उतार के एक दूसरे से शारीरिक मिलन करते है। पर सब के  बीच में एक इसी बात करने से भागते है। शरमाते है और चरित्रहीनता का भाव रखते है। यह आज के हिंदुस्तान की सामाजिक सिस्टम है।
पश्चिमी देशो में ऐसा नहीं है। वहाँ पर लोग खुले में बात करते है और कई लड़के या लड़की अगर इच्छा हो जाये तो सीधा सबके सामने पूछ लेते है, “hey do you wanna #sex with me?” और अगर दोनों को कोई तकलीफ नहीं है तो फिर कमरे में जा के आनंद ले लेते है। में यहाँ पर यह नहीं कह रहा कि वह सही है या गलत। यहाँ पर बात यह है कि हम भारतीय लोग इतना इस शब्द से डरते क्यों है? क्या सेक्स गलत है? क्या प्रेम में होना गलत है? क्या किसी से शारीरिक मिलन करना गलत है अगर दोनों की रजामंदी से हो तो? तो फिर क्यों डरते है सब इस नाम से ? पहले तो सेक्स असल में क्या है यह जानना जरुरी है। तो आईये आज उसकी यात्रा करते है। और उन हसीन सपनो की सी दुनिया में हो रहे स्त्री पुरुष के मिलन को समजते है।
स्त्री नेगेटिव ऊर्जा है और पुरुष पॉजिटिव ऊर्जा या एनर्जी है। जैसे चुंबक का साउथ पोल नार्थ पोल को आकर्षित करता है वैसे ही स्त्री पुरुष को आकर्षित करती है। यह एक कुदरत का अटल सिद्धान्त है। वह सिद्धांत यह कि दो विपरीत एनर्जी हमेशा एक दूसरे को खिचती है। मैगनेट का साउथ और नार्थ पोल जैसे खीचा चला जाता है वैसे ही। कुदरत ने दोनों एनर्जी को समान हक़ और इम्पोर्टेंस दिया है। एक के बिना दूसरा अधूरा! समजो इलेक्ट्रिक लाइन में एक पॉजिटिव और एक नेगेटिव पॉइंट्स होते है। अगर बिजली जलानी है आपको तो दोनों का बराबर ही इस्तेमाल करना पड़ेगा। आप अगर उसमें सोचेंगे कि हम नेगेटिव क्यों ले तो आप गलत हो। आप बिजली का उपयोग कर ही नहीं पाएंगे। तो दोनों का समान मूल्य भी है और दोनों का समान महत्व है। इसीलिए तो कुदरत ने पृथ्वी बनायीं तो सामने आकाश भी दिया। अग्नि बनायीं तो जल भी बनाया। फूल बनाये तो कांटे भी बनाये। स्त्री बनायीं तो पुरुष भी बनाया। जानवर में भी नर बनाया तो मादा भी बनाया। सूरज बनाया तो चाँद भी बनाया। धुप बनायीं तो छाया भी बनायीं। ताप बनाया तो शीतलता भी बनायीं। इसी तरह से सब जोड़े में है।
एक नेगेटिव तो दूसरी पॉजिटिव एनर्जी। दोनों का समान मूल्य। और जब संभोग होता है तो यह एक साइकिल पूरी होती है। पुरुष हमेशा से नेगेटिव की तलाश में रहता है और स्त्री हमेशा पॉजिटिव की। जब सेक्स होता है तो पुरुष का लिंग जब स्त्री के योनि मार्ग में प्रवेश करता है तो एक साइकिल पूरी होती है। पॉजिटिव मीट्स नेगेटिव।
तब जा के जीवन का एक नया अध्याय शुरू हो सकता है। उसके बिना नहीं। पुरुष का लिंग एक यात्री है और स्त्री की योनि एक मंज़िल। जब यात्री मंज़िल को पा लेता है तब दोनों को शान्ति मिलती है। एक अलौकिक आनंद का एहसास होता है क्योंकि दोनों का पवित्र मिलन जो हो रहा है। जी हाँ में यहाँ पर पवित्र शब्द ही इस्तेमाल कर रहा हूँ क्योंकि अगर पवित्र ना होता तो शिव लिंग जो है उसका योनि प्रवेश लिंग ना दिखाया होता। यही समजाने के लिए ही वह दिखाया गया है। इसीलिए पवित्र चीज़ ही मानी जानी चाहिए।
यह मिलन एक ऐसा मिलन है जहाँ पर आप कुछ क्षण ही सही पर आप समाधी को प्राप्त हो सकते हो। जब पुरुष से वीर्य स्खलित होता है और स्त्री के योनि मार्ग में स्त्राव शुरू होता है सेक्स के दौरान तब यह स्थिति आती है। उस वक़्त आप एब्सॉल्यूट जीरो की पोजीशन में होते है जिसके लिए आप कितनी भी मुश्किलें सहे पर वह आसानी से नहीं आता वह क्षण सिर्फ एक सेक्स के परम आनंद में आ जाता है। यह एक परमानन्द ही है। जिस वक़्त आप समाधी को प्राप्त हो गए उस वक़्त को आप आनंद की परम स्थिति बोल सकते हो। यह स्थिति सिर्फ सेक्स करने से नहीं परंतु प्रेम में सेक्स करने से ही आती है। जी हाँ प्रेम होना अति आवश्यक है। दूसरे में मिट जाना। वही स्थिति है जो आपको परमानन्द में ले जाती है। स्त्री और पुरुआह् का वह मिलन एक उत्कृष्ट मिलन मन जाता है और इसीलिए सेक्स के बाद सब रिलैक्स्ड फील करते है और सुख से नींद आती है।
आज तक जितने भी ब्रह्मचारी साधू हुए है उनमें से सिर्फ कुछ ही लोग को ईश्वर के दर्शन हुए है जब कि गृहस्थ साधू को तो बहुत सो को ईश्वर प्राप्त हुए है। वह इसीलिए कि जब तक आप पुरे ना हो तब तक ईश्वर का मिलना असंभव सा है। ब्रह्मचारियों को शायद इसीलिये बहुत कष्ट उठाना भी पड़ता था। यहाँ पर ब्रह्मचारियों का मतलब सिर्फ सेक्स से लेना है। और किसी बात से नहीं। सेक्स किसी भी हाल में बुरी चीज़ नहीं है। वह तो अप्रतिम और अलौकिक घटना है। तो उससे भागने का कोई मतलब नहीं है।
आप पुरे होते हो पॉजिटिव और नेगेटिव के मिलन से। दोनों एक हो जाते हो तब ही आप समाधी को उपलब्ध हो जाते हो। इसीलिए तो भगवान शिव का एक अर्धनारीश्वर रूप भी है। वह यह भी दिखाता है कि आप एक दुसरो में मिट जाओ। एक दुसरो में समां जाओ। तब आप एक हो सकते हो और कुछ हासिल कर सकते हो। पुरुष का काम और स्त्री के काम में बगत अंतर है। पुरुष का काम है प्रवेश करना याने देना और स्त्री का काम है प्रवेश करवाना याने लेना। इसीलिए इस सूत्र के अनुसार ही बिजली पॉजिटिव एनर्जी आपको फेकती है और नेगेटिव वायर से आपको खिंच लेती है। सब प्राणियों में समान अवस्था पायी जाती है। तो उसमें चरित्रहीनता का भाव क्यों लाया जाता है? और वह भी बोलने में!
स्प्रिंग की तरह है सब कुछ। जिसको आप खिंच के रखोगे उतनी ही तेजी से और जोरो से उछलती है चीज़े। हमारे यहाँ पर यह सेक्स दबाके रखा जाता है इसीलिए तो बार बार कई किस्से हम अखबार में पढ़ते है की रेप हुआ। किसी मासूम के साथ रेप हुआ। किसी महिला के साथ रेप हुआ। कई बार हम यह पढ़ते है। ऐसा नहीं है कि पाचिमि देशो में रेप के किस्से नहीं होते है पर वह संख्या बहुत ही कम है। क्योंकि वहां पर वह चीज़ दबाके नहीं रखी गयी। इसीलिए स्प्रिंग का उछालना बनता ही नहीं। और यहाँ पर स्प्रिंग बहुत जोर से उछलती है।

कई बार हमने पढ़ा होगा की अब किताबो में और स्कूल्स में अब सेक्स की पढाई भी होगी। पर क्या आप जानते है एही एक मात्र ऐसा ज्ञान है जो कुदरत अपने आप वक़्त आने पर खुद सीखा देता है। वरना जब पुराने ज़माने में एजुकेशन नहीं था तो एक भी बच्चे नहीं होने चाहिए थे। उल्टा था तब। बहुत बच्चे होते थे तब। यही एक मात्र एजुकेशन ऐसा है जो कुदरत खुद सिख देती है क्योंकि यह एक पवित्र ज्ञान है। पर आप जितना भी प्रेम से सेक्स करोगे आप उतना ही गहराई से समाधी में जा पाओगे। सेक्स कोई बुरी चीज़ नहीं है। बिलकुल नहीं है। और अगर बुरी चीज़ होती तो भगवान राम को कृष्ण को इत्यादि को बच्चे नहीं हुए होते। अगर यह बुरा होता तो वह लोग शादी क्यों करते? कृष्ण ने तो हज़ारो शादी की। वह खुलकर जिये और बताया इसे बुरा नहीं मानो।
जब एक पॉजिटिव और नेगेटिव साथ में जुड़ता है तब एक नयी एनर्जी जन्म लेती है। तो उसी का नाम जीवन है। जब स्त्री और पुरुष का सही मिलन होता है तब एक नया जीवन भी शुरू हो जाता है। नयी ज़िन्दगी भी सांस लेने को आ जाती है। यह वह पवित्र मिलन है जिसमें ईश्वर खुद बसते है। तो वह चीज़ कभी भी बुरी हो ही नहीं सकती। उसके लिए या उसकी चर्चा के लिए कभी भी चरित्रहीनता का भाव लेन की या शरमाने की कोई वजह नही है तो खुल के बात करे। अपने बच्चों से भी इस बारे में खुल के बात करेंगे तो उम्मीद है वह कभी भी गलत सेक्स के कार्य में कभी भी नहीं जायेंगे।
यह एक पॉजिटिव का नेगेटिव के साथ मिलन के अलावा कुछ नहीं है। स्त्री पुरुष के इस रिश्ते को गहराई से देखे। प्रेम वहीँ पर मिलेगा। जो आजकल इसीलिए शायद खो गया है और प्रेम की जगह प्यार ने ले ली है। शायद इसीलिए कि लोग उसको समज नहीं पाये है। तो आईये आज एक नयी शुरुआत करे। बाकी तो सब नज़रिये की बात है। आप किस तरह इसे लेते हो और समजते हो यह आपकी सोच और बुद्धि पर है। अगर सहमत तो शेयर ज़रूर हो अगर मन मे किसी भी प्रकार का कोई भी प्रश्न उठता हो तो #WhatsApp +91-7827020780 to connect with #Relationship #Counselor #AstrologerSiddharthaGoell