संक्रांति आ रही है, उसमें दान की महत्ता हैं-
वृन्द कवि कहते है:-जो धनवन्तु सु देव कुछ,
देय कहा धन हीन।
कहा निचोरै नग्न जन,
न्हान सरोवरकीन।।
(अर्थात् जो धनवान है, वह कुछ धन दे सकता
है। जो धन हीन है वह कुछ नहीं दे सकता, जैसे
यदि कोई नंगा आदमी तालाब में नहाये, तो वह
क्या निचोड़ेगा?)
पलाश के वृक्ष पर फूल आए हों, परन्तु भूखा
तोता उसका क्या करे? कारण कि वह फूल खाया नहीं जा सकता, उसी प्रकार स्वामी तो
समृद्ध हो, परन्तु दाता न हो तो सेवक क्या करे?
हाथ में भिक्षा का पात्र लेकर भिक्षुक
घर- घर भटकते हुए कहता है कि ‘दान नही करता है, उसे मेरे जैसा ही फल भोगना पड़ेगा।’
देने वाले में वह लेने वाले में दोनों में ईश्वर है।
हम सभी ईश्वर है, दोनों को नमस्कार। #मकर #संक्रांति के दिन आप लोग #चावल #मूँग की #दाल #तिल #घी #नमक #आलू किसी देव स्थान में दान आप के दुःख मिटेंगे। ।। गुरु कृपा केवलं। #Whatsapp +91-7827020780 to connect with #AstrologerSiddharthagoell